आज के दौर में जब भाई भाई को धोखा देने से बाज नहीं आता है, तो अनजान की क्या कहें! अगर आपको कोई प्रॉपर्टी पसंद आ गई है और आप उसके लिए बयाना भी दे चुके हैं, तो रजिस्ट्री से पहले एग्रीमेंट टू सेल तैयार कराने की सावधानी जरूर बरतें।
अगर आप प्रॉपर्टी बेचने का फैसला कर चुके हैं या फिर खुद कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो केवल जुबानी वादे पर ही भरोसा न करें। भले ही दूसरी पार्टी आपकी कितनी ही नजदीकी क्यों न हो! डील फाइनल होते ही सेल डीड तैयार नहीं की जा सकती, लेकिन इससे पहले डील को कानूनी रूप देने के लिए एक अन्य कागजात का सहारा लिया जा सकता है। वह है, एग्रीमेंट टु सेल।
वास्तव में, सेल डीड भी एग्रीमेंट टू सेल की शर्तों के आधार पर ही तैयार की जाती है। यह एग्रीमेंट बॉयर और सेलर के बीच नॉन जूडीशियल स्टाम्प पेपर पर तैयार किया जाता है। यह प्रमाण के रूप में कानूनन मान्य होता है। यह एग्रीमेंट ही कन्वेंस डीड तैयार करने का आधार बनता है।
सेल डीड
'सेल डीड' तैयार करते समय 'एग्रीमेंट टू सेल' का महत्व सामने आता है। एग्रीमेंट में लिखी शर्तों के आधार पर ही सेल डीड तैयार की जाती है। इस प्रकार तैयार सेल डीड बायर और सेलर के बीच साइन की जाती है। इसे रजिस्ट्रार के ऑफिस में रजिस्टर कराना जरूरी होता है। 'सेल डीड' ऐसा लिखित दस्तावेज होता है, जो प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के बारे में जानकारी देता है। अगर प्रॉपर्टी के एक से ज्यादा मालिक रहे हैं, तो इसका उल्लेख भी सेल डीड में किया जाता है। साथ ही, डील की कुल कीमत, एडवांस्ड और बैलेंस्ड अमाउंट की जानकारी भी दी जाती है।
सेल डीड के माध्यम से ही पुराना मालिक प्रॉपर्टी पर अपना मालिकाना हक छोड़ने की घोषणा करता है और यह भी बताता है कि प्रॉपर्टी पर किसी किस्म का कोई बकाया नहीं है। दोनों पार्टियों के लिए सेल डीड में लिखी गई शर्तों को मानना कानूनन जरूरी होता है। इससे पहले लिखे गए एग्रीमेंट टू सेल में वे शर्तें लिखी होती हैं, जिनके आधार पर दोनों पार्टियां प्रॉपर्टी की डील करना चाहती हैं। ऐसे में एग्रीमेंट टू सेल तैयार करने से सेल डीड के समय या बाद में कभी भी किसी विवाद से बचा जा सकता है।
क्या लिखें एग्रीमेंट टु सेल में
- दोनों पार्टियों के नाम, स्थायी पते और उम्र
- एग्रीमेंट तैयार करने का दिन, दिनांक और जगह
- दोनों पार्टियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- उन कागजात का संक्षिप्त ब्योरा , जिनके आधार पर सेलर ने प्रॉपर्टी हासिल की थी
- प्रॉपर्टी का सही ब्योरा , जैसे - जगह , साइज , कंस्ट्रक्शन डिटेल आदि
- सेल की कुल रकम का ब्योरा
- पेमेंट का माध्यम और समय
- विभिन्न जिम्मेदारियों , जैसे - अगला पेमेंट , फाइनल डीड आदि के लिए निश्चित समय सीमा
- ट्रांसेक्शन में होने वाले खर्च की जिम्मेदारी किस पार्टी की होगी
- किसी भी पार्टी द्वारा एग्रीमेंट की कोई भी शर्त नहीं मानने पर लगने वाली पेनल्टी
- पजेशन के लिए शर्तें
- सेलर द्वारा यह घोषणा कि उक्त प्रॉपर्टी पर किसी प्रकार का कोई बकाया नहीं है
- गवाहों के नाम , साइन और पते
अगर आप प्रॉपर्टी बेचने का फैसला कर चुके हैं या फिर खुद कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो केवल जुबानी वादे पर ही भरोसा न करें। भले ही दूसरी पार्टी आपकी कितनी ही नजदीकी क्यों न हो! डील फाइनल होते ही सेल डीड तैयार नहीं की जा सकती, लेकिन इससे पहले डील को कानूनी रूप देने के लिए एक अन्य कागजात का सहारा लिया जा सकता है। वह है, एग्रीमेंट टु सेल।
वास्तव में, सेल डीड भी एग्रीमेंट टू सेल की शर्तों के आधार पर ही तैयार की जाती है। यह एग्रीमेंट बॉयर और सेलर के बीच नॉन जूडीशियल स्टाम्प पेपर पर तैयार किया जाता है। यह प्रमाण के रूप में कानूनन मान्य होता है। यह एग्रीमेंट ही कन्वेंस डीड तैयार करने का आधार बनता है।
सेल डीड
'सेल डीड' तैयार करते समय 'एग्रीमेंट टू सेल' का महत्व सामने आता है। एग्रीमेंट में लिखी शर्तों के आधार पर ही सेल डीड तैयार की जाती है। इस प्रकार तैयार सेल डीड बायर और सेलर के बीच साइन की जाती है। इसे रजिस्ट्रार के ऑफिस में रजिस्टर कराना जरूरी होता है। 'सेल डीड' ऐसा लिखित दस्तावेज होता है, जो प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के बारे में जानकारी देता है। अगर प्रॉपर्टी के एक से ज्यादा मालिक रहे हैं, तो इसका उल्लेख भी सेल डीड में किया जाता है। साथ ही, डील की कुल कीमत, एडवांस्ड और बैलेंस्ड अमाउंट की जानकारी भी दी जाती है।
सेल डीड के माध्यम से ही पुराना मालिक प्रॉपर्टी पर अपना मालिकाना हक छोड़ने की घोषणा करता है और यह भी बताता है कि प्रॉपर्टी पर किसी किस्म का कोई बकाया नहीं है। दोनों पार्टियों के लिए सेल डीड में लिखी गई शर्तों को मानना कानूनन जरूरी होता है। इससे पहले लिखे गए एग्रीमेंट टू सेल में वे शर्तें लिखी होती हैं, जिनके आधार पर दोनों पार्टियां प्रॉपर्टी की डील करना चाहती हैं। ऐसे में एग्रीमेंट टू सेल तैयार करने से सेल डीड के समय या बाद में कभी भी किसी विवाद से बचा जा सकता है।
क्या लिखें एग्रीमेंट टु सेल में
- दोनों पार्टियों के नाम, स्थायी पते और उम्र
- एग्रीमेंट तैयार करने का दिन, दिनांक और जगह
- दोनों पार्टियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- उन कागजात का संक्षिप्त ब्योरा , जिनके आधार पर सेलर ने प्रॉपर्टी हासिल की थी
- प्रॉपर्टी का सही ब्योरा , जैसे - जगह , साइज , कंस्ट्रक्शन डिटेल आदि
- सेल की कुल रकम का ब्योरा
- पेमेंट का माध्यम और समय
- विभिन्न जिम्मेदारियों , जैसे - अगला पेमेंट , फाइनल डीड आदि के लिए निश्चित समय सीमा
- ट्रांसेक्शन में होने वाले खर्च की जिम्मेदारी किस पार्टी की होगी
- किसी भी पार्टी द्वारा एग्रीमेंट की कोई भी शर्त नहीं मानने पर लगने वाली पेनल्टी
- पजेशन के लिए शर्तें
- सेलर द्वारा यह घोषणा कि उक्त प्रॉपर्टी पर किसी प्रकार का कोई बकाया नहीं है
- गवाहों के नाम , साइन और पते